आँखें

ओ मेरी मतवाली ऑखो इस मन को और मतवाला न बनाओ यह तो पहले से ही निरा अंधा है हर चीज के रूप रंग को देखकर मोहित हो जाता है हर सुन्दर चीज को देखने को तडपता रहता है उसी से मिलन की रट लगाए रहता है यही नहीं यदि इससे सुन्दर चीज देखेगा तो पिछलों को छोड नये का आशिक हो जायेगा अतः ओ मेरी मतवाली आँखो इसको सुन्दर दृश्य ही न दिखाओ बुद्धि को भी साथ ले लो सुन्दरता में सुन्दरता ही नहीं - सुन्दर गुण देखो असुन्दर में सुन्दर गुण हों तो उसे देखो बुराई में यदि अच्छाई है तो उसे देखो बुरी से बुरी जगह यदि सुन्दर गुण मिले तो उसे देखो गुणों को ग्रहण करो और अपने जीवन में उतारो तभी में समझेंगा samjunga कि तुमने मेरा सच्चा साथ दिया याद रखो कभी कभी तुम भी सत्य को नहीं देख सकतीं उस समय अंतर को साथ लेकर चलो तभी जीवन का सफर तय होगा ।

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